अनूप धीमन पालमपुर 7 दिसंबर। चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय ने लाहुल में वीरवार को अपने क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, कुकुमसेरी में छरमा पर एक प्रशिक्षण का आयोजन किया।
कुलपति डा. डी.के.वत्स ने लाहुल घाटी की सभी 32 पंचायतों के प्रतिनिधियों को पावर स्प्रेयर, बुश कटर आदि सहित कृषि उपकरण वितरित किए। लगभग 300 किसानों और कृषक महिलाओं को संबोधित करते हुए उन्होंने किसानों से विश्वविद्यालय अनुसंधान केंद्र से छरमा के बारे में पूरी वैज्ञानिक जानकारी प्राप्त करने को कहा। उन्होंने वैज्ञानिकों से छरमा की कटाई और प्रसंस्करण में उपयोगी कृषि उपकरणों और उपकरणों को विकसित करने और किसानों को जागरूक करने के लिए कहा। उन्होंने जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन, सौर ऊर्जा के उपयोग, कृषि मशीनीकरण, खेती में डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग आदि के कारण चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा की।
उन्होंने आदिवासी क्षेत्रों के मेहनती किसानों की सराहना की जो खराब मौसम और कठिन इलाके के बावजूद उच्च मूल्य वाली नकदी फसलें पैदा करते हैं। वे विदेशी सब्जियाँ उगा रहे हैं जिनमें उनकी कृषि आय बढ़ाने की व्यापक संभावनाएँ हैं।
कुलपति ने छरमा पर प्रदर्शनी को भी देखा।
अनुसंधान निदेशक डा. एस.के.उपाध्याय ने किसानों से छरमा की वैज्ञानिक खेती अपनाने को कहा। उन्होंने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की जनजातीय उपयोजना के तहत कृषि उपकरण उपलब्ध कराये गये हैं.
प्रभारी वैज्ञानिक डा.पंकज चोपड़ा ने क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र की गतिविधियों की विस्तृत जानकारी दी। प्रधान अन्वेषक डा.आर.के.राणा ने छरमा के महत्व, औषधीय मूल्य, प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन को रेखांकित किया।
इस अवसर पर विभागाध्यक्ष डा. नरेंद्र सांख्यान और डा. अनूप कटोच, डा. पवन कुमार शर्मा, डा. परवीन कुमार, डा. आशिता बिष्ट, डा. राधिका नेगी और डा. शबनम कटोच भी मौजूद रहे।