दुनियाभर में कई ऐसे खतरनाक देश हैं, जहां पर रहने का मतलब ही तड़प-तड़प कर रोजाना मरने जैसा है. ऐसा ही एक देश मध्य अफ्रीका में स्थित कांगो (Democratic Republic of Congo) है. इस देश के हालात बेहद डरावने थे, हालांकि, आज भी इसके हालात कुछ खास सुधरे नहीं हैं. यूं तो यहां पर गृह युद्ध (Civil War in Congo) की समाप्ति जुलाई 2003 में ही हो गई थी, लेकिन यहां के कई क्षेत्रों में हिंसक घटनाएं होती रहती हैं. ऐसे में रेप, लूट-खसोट, मानव तस्करी, वेश्यावृत्ति, बच्चों के हाथों में हथियार, भारी भ्रष्टाचार समेत हर मामले में इस देश की स्थिति बद् से बद्तर होती दिखती है.
फिलहाल डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो की आबादी करीब 9.4 करोड़ के आस-पास है. क्षेत्रफल के हिसाब से अफ्रीका में दूसरे और दुनिया में 11वें नंबर पर आने वाला यह देश कई समस्याओं से जूझ रहा है और उनसे उबरने की कोशिश भी कर रहा है. हालांकि, अब तक यहां का माहौल सही नहीं हो पाया है. कांगों में सैनिकों और विद्रोहियों के बीच लगभग ढाई दशक से संघर्ष जारी है. इस लड़ाई में सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को उठानी पड़ी है. सिविल वॉर की समाप्ति की घोषणा के 3 साल बाद यानी कि 2006-07 में भी संघर्ष चरम पर था. उस दौरान कांगो के नॉर्थ किवु राज्य के बड़े शहर गोमा को रेप कैपिटल ऑफ वर्ल्ड (Rape Capital of World) कहा जाता था. इसकी वजह भी थी, क्योंकि उस दौरान उस शहर में हर घंटे 48 महिलाएं बलात्कार की शिकार होती थीं.
आयरलैंड की रहने वाली डियरभ्ला ग्लिन (Dearbhla Glynn) ने वॉर अगेन्स्ट विमेन इन कांगो नामक डॉक्युमेंट्री बनाई थी. इस सिलसिले में वे कांगों के युद्धग्रस्त इलाकों में गई थीं. वहां जाकर ग्लिन ने वहां के सैनिकों, विद्रोहियों और रेप विक्टिम्स से बात की. ग्लिन के मुताबिक, वहां के हालात भयावह थे. रात में गांवों पर हमला करके खाना और फिर वहां की महिलाओं-लड़कियों की इज्जत लूटना आम बात थी. इस बारे में जब उन्होंने रेप की शिकार महिलाओं से बातचीत की तब एक और सनसनीखेज खुलासा हुआ. उन महिलाओं ने बताया कि रेप की पीड़ा सहने के बाद उन्हें परिवार की उपेक्षा भी बर्दाश्त करनी पड़ती है. यहां तक की कई बार तो उनके अपने ही उनसे सारे संबंध तोड़ लेते हैं. ऐसा लगता है मानो इस रेप के लिए वो महिलाएं ही दोषी हों.
नहीं लिखवातीं रिपोर्ट
रेप की शिकार महिलाएं पुलिस में रिपोर्ट भी नहीं लिखवाती हैं. रिपोर्ट लिखवाने के लिए उन्हें काफी लंबी दूरी तय करके थाने तक जाना होता है, जिसमें पूरा दिन और काफी पैसे लग जाते हैं. ऐसे में गरीबी की मार झेलती ये युवतियां रिपोर्ट लिखवाने से बचती हैं. साथ ही उन्हें डर सताता है कि इंसाफ मिलेगा या नहीं मिलेगा, लेकिन उल्टा थाने में भी शोषण ही किया जाएगा. एक रेप विक्टिम ने ग्लिन से कहा कि आखिर क्यों जाएं पुलिस के पास, क्या एक बार और रेप करवाने के लिए?
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FIRST PUBLISHED : December 22, 2022, 18:40 IST