हिमाचल प्रदेश के आकांक्षी जिला चंबा की सिहुंता तहसील के तल्ला गांव में सीएसआईआर अरोमा मिशन के तहत सुगन्धित फसलों से लाभ उठा रहे किसानों और उद्धमियों के साथ अनुसंधान परिषद, सीएसआईआर-आईएचबीटी तथा संस्थान के निदेशक और वैज्ञानिकों ने उनके कार्यों से सम्बंधित विभिन्न पहलुओं पर जानकारी प्राप्त की। डॉ. त्रिलोचन महापात्र, अध्यक्ष अनुसंधान परिषद एवं पूर्व सचिव, डीएआरई और पूर्व महानिदेशक आईसीएआर के साथ-साथ अनुसंधान परिषद के अन्य सदस्यों, प्रोफेसर एस.के. शर्मा, (सीएसके हि प्र कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर के पूर्व कुलपति और पूर्व निदेशक, एनबीपीजीआर, नई दिल्ली), डॉ अनूप कारवा (ऑपरेशंस इंडिया क्रॉप्स के प्रमुख, इनोटेरा जालना, महाराष्ट्र), प्रोफेसर अगेपति एस राघवेंद्र, (पूर्व जेसी बोस नेशनल फेलो, स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज, डिपार्टमेंट ऑफ प्लांट साइंसेज, हैदराबाद विश्वविद्यालय), डॉ उमा रामकृष्णन (प्रोफेसर, नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज, बेंगलुरु), डॉ मीनाक्षी सिंह (मुख्य वैज्ञानिक, सीएसआईआर मुख्यालय, नई दिल्ली) और डॉ संजय कुमार, निदेशक, सीएसआईआर-आईएचबीटी पालमपुर, हिमाचल प्रदेश ने सगंधित गेंदा की खेती करने वाले किसानों से बातचीत की और एसेंशियल ऑयल निकालने की प्रक्रिया को भी देखा। किसानों ने विशेषज्ञों को अवगत करवाया कि पहले वे बंदरों के आतंक, ओलावृष्टि और अन्य कृषि सुविधाओं की अनुपलब्धता की समस्याओं का सामना कर रहे थे। जिस के कारण उन्हें काफी हानि हो रही थी। सीएसआईआर-आईएचबीटी ने किसानों की ऐसी समस्याओं को दूर करने के लिए अरोमा मिशन चरण- II के अंतर्गत उन्हें सगंधित गेंदा उगाने के लिए तकनीक एवं उचित पौध सामग्री दी। सगंधित गेंदा जैविक और अजैविक तनाव का सामना करने में सक्षम है तथा ये फसलें चराई और आवारा जानवरों से प्रभावित नहीं होती हैं। किसानों को गेंदा फसल लाभकारी लगी; उन्होंने एक साथ समूह बनाया और अपने खेतों में सगंधित गेंदा की खेती करने लगे। इस कार्यक्रम में 100 से अधिक प्रगतिशील किसानों ने विशेषज्ञों की टीम के साथ वार्तालाप किया।
संस्थान अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष डॉ. महापात्र और अन्य सदस्यों ने अरोमा मिशन के तहत सगंधित फसलों के मूल्यवर्धन के लिए किसानों के खेतों में नि:शुल्क स्थापित सगंध तेल निष्कर्षण इकाई का दौरा किया और निष्कर्षण प्रक्रिया की निगरानी की और किसानों के साथ बातचीत भी की एंव सीएसआईआर अरोमा मिशन की प्रगति व गतिविधियों पर चर्चा की। इस अवसर पर सीएसआईआर-आईएचबीटी के निदेशक, डॉ संजय कुमार ने बताया कि वैश्विक एसेंशियल ऑयल की मांग दिन प्रतिदिन बढ़ रही है और 2022 के दौरान विश्व में एसेंशियल ऑयल की मांग 8.8 बिलियन अमरीकी डालर है जो 2027 में 16.34 अमरीकी डालर तक बढ़ने का अनुमान है। सीएसआईआर-हिमालयी जैव संसाधन प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी), पालमपुर (हिमाचल प्रदेश) सीएसआईआर-अरोमा मिशन के अन्तर्गत सगंधित फसलों की खेती के माध्यम से कृषक समुदाय की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने और उनकी आय को दोगुना करने के प्रयास कर रहा है। भारत को सगंधित तेल उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने और विदेशों पर निर्भरता कम करने के लिए पूरे भारत में सीएसआईआर संस्थानों द्वारा सगंधित फसलों की खेती के तहत 30,000 हेक्टेयर क्षेत्र को लाने का प्रयास किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में, श्री सुरेंद्र मोहन (हिम्पा के अध्यक्ष, एवं सह-प्रबंधक भागीदार प्राकृतिक बायोटेक उत्पाद, बग्गी, मंडी, हिमाचल प्रदेश); श्री उपमन्यु, प्रसिद्ध पर्यावरणविद्, सिहुंता, चंबा एवं श्री पवन कुमार, सुगंधित फसलों के प्रगतिशील किसान के साथ-साथ गाँव तल्ला के पंचायत प्रधान ने भी भाग लिया।