विपिन परमार सुलह की तरक्की में रोड़ा अड़ाने का काम कर रहे।
सुखविंदर सिंह सुक्खू के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान व नारेबाजी अपने व्यक्तिगत हित में ना की सुलह की तरक्की के लिए।
सुलह के विधायक श्री विपिन परमार हाल ही में हस्ताक्षर अभियान के माध्यम से चुनाव क्षेत्र के लोगों की तरक्की ना करवाकर बल्कि आने वाले समय में होने वाली तरक्की के रास्ते में रोड़ा अड़ाने का काम कर रहे हैं
सुलह कांग्रेस अध्यक्ष श्री संजय सिंह चौहान ने कहा कि सुलह चुनाव क्षेत्र में जो भी संस्थान बंद हुए हैं विपिन परमार ने वास्तविकता में उन्हें खोलने के लिए सरकार के पास कोई प्रारूप नहीं रखा है क्योंकि यह संस्थान जो खोले गए थे वह विधायक ने अपनी निजी तरक्की के लिए खोले थे ना कि क्षेत्र की तरक्की के लिए अतः उनको खोलने के लिए विपिन परमार ने कोई भी प्रारूप मुख्यमंत्री के समक्ष नहीं रखा है।
सुलह कांग्रेस अध्यक्ष संजय सिंह चौहान ने कहा कि विपिन परमार यह भूल गए हैं कि उन्होंने जहां जहां पर भी अपने आदेश के अनुसार यह संस्थान खुलवाए थे वहां पर जिन ठेकेदारों ने जो भी काम किया था उसके ना तो सरकार की तरफ से अभियंताओं की तरफ से कोई टेंडर निकाले गए थे और ना ही आज तक उनको कोई राशि नहीं दी गई वह इधर उधर भटक रहे हैं तथा ऐसा भी हो सकता है कि वे आने वाले समय में कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और सुला विधायक विपिन सिंह परमार को व्यक्तिगत तौर पर पार्टी बनाएं संजय सिंह चौहान ने कहा आने वाले समय में यह जांच करवाई जाएगी कि जिन जिन प्राइवेट घरों में यह संस्थान खोले गए उनमें क्या मॉडिफिकेशन की गई उसका सामान कहां से लाया गया वह किन ठेकेदारों ने काम किए तथा उन ठेकेदारों को कहां से धन मुहैया कराया गया है या नहीं कराया गया है यह उनके पेट पर तथा रोजी पर मार है।
सुलाह कांग्रेस अध्यक्ष संजय सिंह चौहान ने कहा कि अपने घमंड को दरकिनार कर विपिन परमार सुलह की तरक्की में अपना हाथ बताएं तथा सुखविंदर सिंह सुक्खू के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान और नारेबाजी को तथा लोगों को बरगलाने की अपनी नीति से बजाएं।
श्री संजय सिंह चौहान ने विपिन परमार से यह प्रश्न पूछा है कि वे हस्ताक्षर माध्यम से के माध्यम से लोगों को यह भी बताएं कि जो जो संस्थान खोले गए थे उनमें वित्तीय प्रबंधन कहां से किया गया था तथा वहां पर जो अधिकारी कर्मचारी लगाए जाने थे वह कहां से आने थे लोगों को अपनी राजनीति चमकाने के लिए बस जिंदा रखने के लिए झूठ बोलकर मूर्ख ना बनाएं।