अनूप धीमान पालमपुर 12 जनवरी।
चौसकु हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय में गुरूवार को राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड द्वारा प्रायोजित, मछली किसानों के लिए एक कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न हुआ। 50 प्रशिक्षुओं को प्रमाण पत्र वितरित करने के बाद मुख्य अतिथि कुलपति प्रो एच.के. चौधरी ने मछली पालन के महत्व को रेखांकित किया। प्रोफेसर चौधरी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की स्नो ट्राउट जैसी मछली की प्रजातियां पूरे देश में जानी जाती हैं। उन्होंने प्रशिक्षुओं को मछली चारा तैयार करने की सलाह दी। उन्होंने किसानों को सलाह दी कि वे अपने आस-पड़ोस के अन्य किसानों के बीच नए ज्ञान का प्रसार करें। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के किसानों की सेवा और छात्रों को ज्ञान प्रदान करने के दोहरे कर्तव्य हैं। हिमाचल प्रदेश की जरूरतें और विभिन्न कृषि जलवायु की जरूरतों के लिए विश्वविद्यालय अनुसंधान और प्रौद्योगिकी का विकास भी करता है।
उन्होंने कहा कि किसानों को गेहूं, चावल और मक्का जैसी तीन फसलों से परे सोचने की जरूरत है। उन्होंने कृषि आय बढ़ाने के लिए पशुपालन, मत्स्य पालन, मुर्गी पालन, मधुमक्खी पालन, मशरूम की खेती आदि को अपनाने जैसी एकीकृत खेती की सलाह दी। कुलपति जी ने खेती के लिए वर्षा जल संचयन और जल प्रबंधन के महत्व पर भी चर्चा की। उन्होंने एक प्रशिक्षण पुस्तिका भी जारी की।
प्रसार शिक्षा निदेशक डा. वी.के. शर्मा ने कार्यक्रम में प्रसार गतिविधियों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने किसानों से एकीकृत कृषि प्रणाली अपनाने को कहा।
डॉ. जी.सी. नेगी पशु चिकित्सा एवम पशु विज्ञान महाविद्यालय के डीन डा. मनदीप शर्मा ने कहा कि किसानों को अच्छी आय प्राप्त करने के लिए मछली को स्वस्थ रखने के लिए जागरूक होना चाहिए। उन्होंने किसानों से कहा कि वे नियमित रूप से संस्थान का दौरा करें।
प्रशिक्षण समन्वयक एवं मत्स्य विभाग की प्रमुख डा.डेजी वाधवा ने बताया कि तीन दिवसीय प्रशिक्षण में हिमाचल प्रदेश के प्रशिक्षुओं के अलावा बिहार के एक प्रशिक्षु ने भाग लिया। प्रशिक्षण समन्वयक डा. मधु शर्मा, डा. तरंग शाह और डा. अरुण शर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में कुछ प्रशिक्षुओं ने उपयोगी प्रशिक्षण के लिए विश्वविद्यालय का धन्यवाद दिया।