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सीएसआईआर-आईएचबीटी ‘एंजाइम बायोप्रोसेसिंग’ पर कौशल विकासके माध्यम से युवाओं को कर रहा है प्रोत्साहित

अनूप धीमान पालमपुर, 13 मार्च, 2023 – सीएसआईआर- हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी), पालमपुर में “एंजाइम बायोप्रोसेसिंग” पर 5 दिवसीय उद्यमिता कौशल विकास कार्यक्रम (ई-एसडीपी) की आज से शुरूआत हुई। यह कार्यशाला, भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (MSME) द्वारा वित्त पोषित है। यह प्रोग्राम 13-17 मार्च, 2023 तक जारी रहेगा और प्रतिभागियों को एंजाइम बायोप्रोसेसिंग में नवीनतम प्रगति की व्यापक समझ प्रदान करेगा। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में एंजाइम बायोप्रोसेसिंग के अवसरों और क्षमता के बारे में युवा उद्यमियों और छात्रों के कौशल को बढ़ाना और जागरूकता पैदा करना है। इसके अलावा, इस प्रोग्राम में एंजाइम उत्पादन, शुद्धिकरण और लक्षण वर्णन जैसे विभिन्न पहलुओं में व्यावहारिक प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाएगा। कार्यशाला को एंजाइम बायोप्रोसेसिंग में रुचि रखने वाले छात्रों, शोधकर्ताओं, उद्यमियों और उद्योग के पेशेवरों की जरूरतों को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी, निदेशक, सीएसआईआर-आईएचबीटी ने कार्यशाला का उद्घाटन किया और प्रतिभागियों को संबोधित किया। उन्होंने एंजाइमों पर सीएसआईआर-आईएचबीटी में किए गए कार्यों पर प्रकाश डाला, विशेष रूप से हिमालयी पौधे पोटेंटिला एट्रोसंगुनिया से पृथक किए गए सुपर ऑक्साइड डिसम्यूटेज पर। उन्होंने युवाओं में उद्यमिता विकसित करने और भारत को एंजाइम उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए ऐसे कार्यक्रम की आवश्यकता पर बल दिया। डॉ. त्रिवेदी ने प्रतिभागियों को सीएसआईआर-आईएचबीटी में स्थापित एंजाइम बायोप्रोसेसिंग सुविधा का पूरा उपयोग करने और उनके भविष्य के प्रयासों में संस्थागत सहयोग सुनिश्चित करने के लिए भी आश्वासन दिया।
प्रोफेसर रूप लाल, वरिष्ठ वैज्ञानिक भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, दिल्ली विश्वविद्यालय ने “रिफामाइसिन बी एनालॉग्स के बायोप्रोसेस विकास” पर मुख्य भाषण दिया। उन्होंने हमारे दैनिक जीवन में सूक्ष्मजीवों के महत्व पर प्रकाश डाला। डॉ लाल ने कहा कि इस तरह की कार्यशालाएं छात्रों, शोधकर्ताओं, उद्यमियों और उद्योग के पेशेवरों की जरूरतों को पूरा करने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करती हैं। इस कार्यक्र्म में, डॉ. संजय कुमार, पूर्व निदेशक, सीएसआईआर-आईएचबीटी ने अपने व्याख्यान में अद्वितीय क्षेत्रों से एंजाइम बायोप्रोसेसिंग में गुंजाइश, अवसरों और चुनौतियों के बारे में चर्चा की।
इससे पूर्व, इस कार्यक्रम के समन्वयक, डॉ. धर्म सिंह, प्रधान वैज्ञानिक ने प्रतिभागियों को कार्यशाला के लक्ष्य एवं उद्देश्य के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सीएसआईआर-आईएचबीटी में स्थापित एंजाइम बायोप्रोसेसिंग सुविधा स्टार्ट-अप और इन्क्यूबेटरों को बड़े पैमाने पर उत्पादन, शुद्धिकरण और औद्योगिक स्तर पर नए प्रोटीन और एंजाइम के अप-स्केलिंग के लिए एक महत्वपूर्ण प्लेटफार्म है। समग्र रूप से, पूरे भारत के विभिन्न संस्थानों (आईआईटी, केंद्रीय विश्वविद्यालयों, निजी और राज्य विश्वविद्यालयों/संस्थानों, आईसीजीईबी, सीएसआईआर, और डीबीटी संस्थानों) से बीस (20) प्रतिभागी इस कार्यशाला में भाग ले रहे हैं।

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